वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है। वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है।
पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उसने उसको अपनी मुश्कि... पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उ...
हम जन्म लेते हैं और एक दिन मृत्यु को गले लगा लेते हैं। हम जन्म लेते हैं और एक दिन मृत्यु को गले लगा लेते हैं।
मुझे नाज़ है तुम जैसी जीवन संगिनी पा कर जिसने अपने मां पापा के आगे अपनी खुशी को भी नही मुझे नाज़ है तुम जैसी जीवन संगिनी पा कर जिसने अपने मां पापा के आगे अपनी खुशी को ...
वहीँ पड़ी तन्हा बेंच पर मैं बैठ गयी, आँखे मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गों के ठह वहीँ पड़ी तन्हा बेंच पर मैं बैठ गयी, आँखे मूँद कर वो साइकल की घंटियाँ, बुजुर्गो...
एक हम सफ़र एक हम सफ़र